बरेली। क्राइम ब्रांच मे 4 साल से चल रही विवेचना का निस्तारण न होने पर प्रतिवादी महिला ने आईजी से की शिकायत।
मुकदमे की प्रतिवादी ललिता चंद्रा ने आईजी राकेश सिंह से गुहार लगाते हुये एक प्रार्थना पत्र दिया है और उनका कहना है वादिनी शिल्पी अग्रवाल ने दिनांक 21.12.2021 को प्रार्थिनी व प्रार्थनी के ससुर हरीश चंद्रा, सास गुड्डी देवी,पति ब्रजेश चन्द्रा, जेठ रमेश चन्द्रा, जिठानी बबित्ता चन्द्रा, व अन्य दो लोगो के खिलाफ दर्ज हुआ था जिन दो बैंक बाउन्स पर उक्त मुकदमा दर्ज हुआ था उन्ही दोनों चैक बाउन्स का परिवाद (1) परिवाद सं०- 150/22 चैक 10 लाख व (2) परिवाद सं० 392/22 मा० न्यायालय अपर मुख्य न्यायाधीश प्रथम के यहा विचारधीन है और उक्त दोनो मुकदमे में मा० न्यायालय का तलवी आदेश हो चुका है।
उपरोक्त मुकदमे की विवेचना पहले थाना बारादरी के एस०आई० विपिन चौधरी द्वारा निष्पादित की जा रही थी. वादिनी मुकदमा ने अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर उक्त मुकदमे की विवेचना स्थानांतरण करा ली फिर इसकी विवेचना थाना कोतवाली के एस०एस०आई० श्री वीरेन्द्र कुमार द्वारा निष्पादित की गई उनके द्वारा मुकदमे से सम्बधित साक्ष्य संकलन की कार्यवाही अमल में लायीच गयी परन्तु वादिनी द्वारा फिर दुबारा उक्त मुकदमे की पुनः विवेचना स्थानांतरण करा ली अब इनकी विवेचना क्राइम ब्रान्च विवेचना निरीक्षक रजनीश वर्मा की ब्रान्च द्वारा निष्पादित की गयी उनके स्थानांतरण के बाद उक्त विवेचना क्राइम ब्रान्च के निरीक्षक विपिन कुमार द्वारा निष्पादित की गई। उनके द्वारा और पूर्व विवेचको द्वारा किये गये साक्ष्य संकलन का अवलोकन के उपरान्त पाया के उपरोक्त मुकदमे में (1) ब्रजेश चन्द्रा (2) हरीश चन्द्र, (3) गुडडी देवी, (4) बबिता, (6) जे०के० नागर (7) आयुष की नामजदगी गलत पायी गयी तथा धारा 504, 506, भा०द०स० का अपराध होना नही पाया गया नामित अभियुक्ता ललिता चन्द्रा के विरूद्ध जुर्म धारा 406, भा०द०वि० का बाखूबी साबित पाया गया आरोप पत्र सं0-69/2024 के अन्तर्गत धार 406, भा०द०वि० में दिनांक 21.03.2024 को मा० न्यायालय प्रेषित किया जा चुका है।मेरे के खिलाफ आरोप पत्र प्रेषित हो जाने के बाद वादिनी द्वारा एक झूठा प्रार्थना पत्र एस०पी० क्राइम को प्रेषित किया गया है वादिनी पहले उक्त प्रार्थना पत्र को प्रेषित कर चुकी है जिसकी विवेचना पूर्व विवेचको द्वारा को जा चुकी है और साक्ष्य संकलित कर केस डायरी में अंकित किये जा चुके है। उक्त मुकदमा सिर्फ 2 चैक बाउन्स का है। जो मा० न्यायालय में भी धारा-138 क्रिमिनल मुकदमा भी उन्ही दोनो चैको के आधार पर चल रहा है चैक में सिर्फ दो लोगो का आदान प्रदान होता है एक वह जो चैक देता है और वह एक जो चैक लेता है किसी तीसरे का इसमे कोई मतलब नही रहता है वादिनी जिन दूसरे लोगो का रूपया मेरे ऊपर होना बता रही है उनका वादिनी के मुकदमे से कोई लेना देना नहीं है और न ही प्रार्थिनी के खिलाफ उक्त मुकदमे के अलावा कोई क्रिमिनल मुकदमा पंजीकृत नहीं है। चादिनी पुलिस गुमराह कर प्रार्थना पत्र देती रहती है और प्रार्थिनी के परिजनों के खिलाफ झूठा प्रार्थना पत्र देती है इसके तथ्य झूठे है और उसके पास कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। उक्त मुकदमे में एक गवाह प्रिंस रस्तौगी की गवाही की है जबकि प्रार्थिनी ने प्रिंस रस्तौगी के खिलाफ ए०सी०जे०एम० प्रथम के यहा पांच लाख चैक बाउन्स का मुकदमा डाला है जोकि विचाराधीन है जिसका परिवाद सं०-454/22 है।
मेरे उपरोक्त मुकदमा थाना कोतवाली में दिनांक 21 12:2021 में दर्ज कराया गया है। पूर्व विवेचको द्वारा साक्ष्यो को संकलित कर केस डायरी में अंकित किये जा चुके हैं। वादिनी सिर्फ पुलिस को गुमराह करने के लिए और प्रार्थिनी द्वारा एस०सी०एस०टी० के मुकदमे में समझौता करने उददेश से उक्त मुकदमे की विवेचना को प्रभावित कर रही है।
आईजी राकेश सिंह ने उक्त मामले मे क्राइम ब्रांच के विवेचक रविन्द्र कुमार को मुकदमे के जल्द निस्तारण का आदेश दिया है।