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बरेली।फास्ट ट्रक कोर्ट प्रथम जज रविकुमार दिवाकर ने दहेज़ हत्या के मामले मे अपने आदेश मे कविताओं का वर्णन करते हुये दी फांसी की सज़ा।

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सुनील सक्सेना (Editor Up News Live)

बरेली न्यायालय फ़ास्ट ट्रक कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला,जज रवि कुमार दिवाकर ने अपने आदेश मे कविताओं का वर्णन करते हुये लिखा है ‘शायद पत्नी के गुणों से ज्यादा, उस पति को भी पैसों से प्यार था, दहेज में आये गाड़ी, घोड़ों का यह लालच, उस पति में भी बेसुमार था, लालच की हद उन्हें, इस मुकाम पर ले आयी थी, उस मासूम प्यारी बहू पर, गड़ासे की धार चलाई थी। “और दहेज़ हत्या के मामले मे पति समेत सांस ससुर को फांसी की सज़ा सुना दी।

बरेली के थाना नाबाबगंज के ग्राम जोराजय नगर मे दिनांक 1 मई 2024 को एक विवाहित महिला की पति सांस ससुर ने गड़ासे से गला काट कर निर्मम हत्या कर दी थी जिसमे आज फ़ास्ट ट्रक कोर्ट प्रथम जज रवि कुमार ने तीनो को फ़ासी की सज़ा सुनाई है इसके अलावा 5 लाख 40 हजार रूपये का आर्थिक दंड डाला है। जज ने अपने निर्णय मे तीन कविताओं का उल्लेख किया है।हजरत मोहम्मद साहब का कथन है कि ” निकाह मेरी सुन्नत है। जो लोग जीवन के इस ढंग को नहीं अपनाते हैं वे मेरे अनुयायी नहीं हैं। ”

मुस्लिम समाज में निकाह को एक बहुत ही पुण्य कार्य माना गया है। मुस्लिम विधि की प्रसिद्ध पुस्तक रघुल मोहतार में यह कहा गया है कि” बाबा आदम के समय से आज तक हम लोगों के लिए रखा गया और जन्नत में भी होने वाला कोई ऐसा इबादत का कार्य नहीं है, सिवाय निकाह और इमान के। ”

मुस्लिम एवं ईसाई समाज में ‘बाबा आदम’ को बड़ा महत्व दिया गया है। ‘हजरत आदम’ जिन्हें बाबा आदम भी कहा जाता है, को इस्लाम तथा ईसाई धर्म में मानव जाति का आदि पुरूष अर्थात् प्रथम मानव माना जाता है और यह भी माना जाता है कि समस्त मानव जाति की उत्पत्ति बाबा आदम से ही हुई है।

ऐसा माना जाता है कि खुदा को सारी सृष्टि अर्थात् पशु-पक्षी, फरिश्ते, देव, जिन्न आदि रचने के बाद भी संतोष नहीं हुआ। तब खुदा ने अपनी आकृति के समान एक प्राणी बनाने का निश्चय किया। मिट्टी को पानी में सानकर खुदा ने एक पुतला बनाया और उसमें आत्मा डालकर मानव उत्पन्न किया और उसे रहने के लिए जन्नत में जगह भी दे दी। यही हजरत आदम अर्थात् बाबा आदम कहलाये।

बाबा आदम को उत्पन्न करने के बाद खुदा ने फरिश्तों को आज्ञा दी कि तुम सब इसे सिजदा करो अर्थात् बाबा आदम के आगे सर झुकाओ। सब फरिश्तों ने खुदा की इस आज्ञा का पालन किया, किन्तु अजाजील नामक एक फरिश्ते ने इसे अपमानजनक समझकर बाबा आदम के सामने सर झुकाने से इंकार कर दिया। इस पर खुदा फरिश्ते अजाजील से बहुत नाराज हुये और अजाजील को स्वर्ग से निकल जाने की आज्ञा दे दी। बाबा आदम अर्थात् इंसान के महत्व को इससे भी समझा जा सकता है कि खुदा ने उस समय बाबा आदम को इतना महान प्राणी समझा कि खुदा ने बाबा आदम अर्थात् एक इंसान के प्रति एक फरिश्ते अजाजील के द्वारा की गयी गुस्ताखी अर्थात् जब फरिश्ते अजाजील ने बाबा आदम को सिज्दा करने से इंकार कर दिया, तो यह बात खुदा से सहन से नहीं हुई और खुदा ने फरिश्ते अजाजील को स्वर्ग अर्थात् जन्नत से निकाल दिया। इस संबंध में मिर्जा गालिब ने कहा भी है कि –

” है आज क्यों जलील ? कि कल तक न थी पसन्द, गुस्ताखिए-फरिश्ता हमारी जनाब में।”

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दिगम्बर सिंह ने बताया की आज फ़ास्ट ट्रक कोर्ट प्रथम रवि कुमार दिवाकर ने एक दहेज़ हत्या के मामले मे सांस ससुर पति को फांसी की सज़ा सुनाई है इस मुकदमे मे 8 गावाहो को पेश किया गया था। कोर्ट के आर्डर मे तीन कविताओं का उल्लेख किया गया है।

Up News Live
Author: Up News Live

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