बरेली। बार कौसिंल ऑफ उत्तर प्रदेश के आवाहन पर बरेली बार एसोसिएशन, बरेली ने आज न्यायिक कार्य बंद करके एडवोकेट अमेंडमेंट बिल-2025 को निरस्त करने की मांग करते हुये ज्ञापन के माध्यम से भारत सरकार को ज्ञापन सौफा। इस दौरान बरेली बार के अध्यक्ष मनोज हरित और सचिव वीपी ध्यानी ने कहा
एडवोकेट अमेंडमेंट बिल-2025 वकीलों के लिए काला कानून है भारत सरकार को इसे निरस्त करना चाहिए।
21 फरवरी बरेली बार के अध्यक्ष मनोज हरित और सचिव वीपी ध्यानी ने डीएम के माध्यम से भारत सरकार को ज्ञापन सोफा। ज्ञापन में निम्नलिखित मांगे मांगी गई है।
1- अधिवक्ता व परिवार के लिये एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट प्राविधान किया जायें।
2- परिषदों में निर्वाचित सदस्यों के अतिरिक्त कोई समाहित न किये जायें व उनके लोकतान्त्रिक स्वरूप को यथावत रखा जायें।
3- परिषदों के सदस्यों या अस्तित्व पर सुझाये गयें संशोधन को तुरन्त समाप्त किया जायें।
4- पूरे प्रदेश के अधिवक्ता विशेषकर उत्तर प्रदेश व बरेली बार एसोसिएशन बरेली मांग करती है कि प्रदेश के अधिवक्ताओं का 10 लाख का मेडिक्लेम व किसी अधिवक्ता की मृत्यु होने पर 10 लाख की बीमा राशि प्रदान की जायें।
5- यह कि पंजीकरण के समय प्रत्येक अधिवक्ता से लिये जा रहें रूप्यें 500/- के स्टाम्प की राशि प्रादेशिक परिष्दों को वापस की जायें व राज्य सरकार द्वारा विधिक स्टाम्प की बिकी से पाप्त धनराशि का 02 प्रतिशत अधिवक्ताओं की कल्याणकारी योजनाओ पर खर्च किया जायें जैसा कि केरल की प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है।
6- नियम बनाने का अधिकार पूर्व में जो एडवोकेट्स एक्ट में प्राविधानित था. उनको उसी प्रकार रखा जायें। केन्द्र सरकार द्वारा रेगुलेशन बनाने की जो बातें कही गयी है उसें तुरन्त समाप्त किया जाये। साथ ही किसी प्रकार के संशोधन की आवश्यकता न होने के कारण व अधिवक्ता स्वतंत्रत विरोध होने के कारण हम अधिवक्त्तागण एडवोकेट्स अमेंडमेंट बिल 2025 के पूरें संशोधन को निरस्त करतें है।
बरेली बार एसोसिएशन बरेली के समस्त अधिवक्तागण मांग करतें है कि एडवोकेट अमेंडमेंट बिल-2025 को तुरन्त वापस लिया जायें।
